MAHABHARATA LOVE STORY | अर्जुन और उलूपी का विवाह | Arjun aur Ulupi ka Vivaah | 2022

अर्जुन और उलूपी का विवाह :- Hello doston ! hindimefeeds.com mein aap sabhi ka bahut bahut swaagat hai . Aaj hm lekar aaye hai aapke aur aapke baccho ke liye अर्जुन और उलूपी का विवाह ki kahani. Bachho ko puraani kahaniyaa sunne mein bahut maza aata hai wo aksar humse kahaniyaan sunane ki zid krte hai aur hm sabhi ko ye pta hai ki baccho ko samjhana kitna mushkil hota hai . To aasha karte hai ki hamari अर्जुन और उलूपी का विवाह kahani se aapki kuch madad ho paayegi. To padhiye is post ko aur masti karaiye apne bachho ko kch alg andaaz mein . Aur Paragraph 3 ko jarur padhe !
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भाग्य की रचना।
भाग्य अर्जुन के लिए जो कहानी लिख रहा था, अर्जुन का नागलोक में आना और नागकन्या उलूपी से मिलना उस कहानी का पहला अध्याय था। यहां से रोचक घटनाओं का सिलसिला आरंभ होता है जो आगे चलकर बब्रुवाहन की भयानक चुनौती में बदलने वाला है। स्वयं अर्जुन को पता नहीं था कि उलूपी का प्रयोग उसकी नई यात्रा का अंत नहीं पहला मोर है। यहां से उसे मार्ग मिलने वाला है जो उसे चित्रांगदा और बब्रुवाहन तक पहुंचाएगा अर्जुन की नागलोक यात्रा से किसी को कोई शंका नहीं थी।
आज की कहानी ऐक प्रेम कहानी है और ये ऐसी वैसी प्रेम कहानी नहीं है। यह प्रेम कहानी इतिहास में दर्ज उन प्रेम कहानीयों में से एक है जिसका नाम है “अर्जुन और उलूपी का विवाह”। इसे आप विवाह मत समझिए क्योंकि यह प्रेम कहानी ने तो विवाह का रूप बाद में लिया पहले तो यह प्रेम था।
पांडवों का वनवास।
इस कहानी की शुरुआत होती है खांडव वन से जिसे बाद में इंद्रप्रस्थ कहा गया। खांडव वन में नागों का राज था, जिनके राजा का नाम नागराज वासुकी था। सारी व्यवस्थाएं अच्छी चल रही थी पर समय को कुछ और ही मंजूर था। इस समय पांडव वनवास में थे और पांडवों ने नागराज वासुकी से निवेदन किया कि कृपया मुझे भी खांडव वन में रहने का आज्ञा दें, लेकिन नागराज ने अर्जुन और उनके भाई पर छल से हमला कर दिया क्योंकि नागराज वासुकी को ऐसा लगा की यह लोग हमारी जमीन छीन लेंगे, हमें बेघर कर देंगे पर ऐसा नहीं था। पांडव दोनों तरफ की भलाई चाहते थे।
पर मैंने जैसा कहा ना, समय को कुछ और ही मंजूर था। ये बैठकर की जाने वाली बातें युद्ध में बदल गई। दोनों पक्षों के बीच युद्ध हुई जिसमें अर्जुन ने नागराज को हरा दिया और नागराज को खांडव वन छोड़ के जाना पड़ा। जिसका परिणाम यह हुआ कि नागराज के राज्य का एक-एक बच्चा पांडव के दुश्मन हो गए। वह पांडवों को अपना दुश्मन समझते थे, पर पांडवों के मन में ऐसा कुछ न था। उन्होंने तो दोनों पक्षों की रहने की बात की थी। समय बीतता चला गया।
भगवान् कृष्ण का अर्जुन को सन्देश।
ये उस समय की बात है जब पांडवों और कौरवों के बीच कुछ महीने बाद युद्ध शुरू होने वाले थे। फिर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह संदेश दिया कि ‘हे अर्जुन’ किसी भी बड़े युद्ध से पहले दुश्मनों की संख्या कम करो, इसके लिए तुम पूरे भारत की भ्रमण करो और जहां-जहां भी दुश्मन है यह कोशिश करो कि उससे मैत्री संबंध बनाए और इसकी शुरुआत सबसे पहले नागराज वासुकी से करो। अर्जुन ने भगवान कृष्ण की बात मानकर उस पथ पर चल दिया।
अर्जुन और उलूपी का मिलन।
इधर उलूपी नाग लोक से पृथ्वी लोक यानी मानव लोक में भ्रमण कर रही थी।तभी गंगा के तट पर उलूपी की भेंट अर्जुन से हुई। उलूपी अर्जुन को देखते ही उन पर मोहित हो गई। दोनों का परिचय हुआ और वापस उलूपी अपने नाग लोग को चली गई। उलूपी दिन-रात अर्जुन के बारे में सोचती रही लेकिन नाग लोक में कुछ और ही तैयारी चल रही थी।
नाग लोक के दल नायक चांडक ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई सारे लोग सभागार में उपस्थित हुए तभी नागराज वासुकी ने पूछा “दल नायक चांडक आपने यह आपातकालीन बैठक क्यों बुलाई” तो चांडक ने जवाब दिया महाराज आज मैंने अर्जुन को अपने नाग लोक खांडव वन में घूमते हुए देखा है। यह बातें सुनकर सभी चौंक उठे।
अर्जुन! उसके बाद नागराज वासुकी ने अपने सभा में यह प्रस्ताव रखा कि कौन अर्जुन को मारना चाहता है क्योंकि वह पांच पांडव हमारा दुश्मन है। उसने ही हमारे खांडव वन को जला दिया, हम सभी नाग जातियों को बेघर कर दिया। उसमें से दल नायक चांडक आगे आता है और कहता है कि महाराज मुझे आज्ञा दीजिए “मैं अर्जुन का सर काट के आपके सामने ला दूंगा” लेकिन तभी उस राज्यसभा में राजकुमारी उलूपी आती है कहती है “नहीं महाराज ये आज्ञा मुझे दीजिए” मैं आपके सामने अर्जुन को जिंदा या मुर्दा प्रस्तुत करूंगी और यह मौका नागराज वासुकी अपनी पुत्री उलूपी को देते हैं।
उलूपी ने ली अर्जुन को मारने की जिम्मेदारी।
उलूपी अर्जुन को मारने के लिए खांडव वन के लिए प्रस्थान करती है उसके बाद वह अर्जुन को अपहरण कर नाग लोक में ले आती है और खंजर से प्रहार करने की कोशिश करती है। लेकिन उलूपी ऐसा कर नहीं पाती है क्योंकि पहली नजर में उलूपी अर्जुन को देखते ही उन पर मोहित जो हो गई थी। दोनों के बीच एक वार्तालाप होती है। उलूपी अर्जुन से कहती है कि तुम हम नागों का दुश्मन हो। लेकिन अर्जुन उसे समझाता है कि नहीं उलूपी ऐसा नहीं है।
हम तुम्हारे दुश्मन नहीं हैं। हम आपसे प्रतिशोध नहीं चाहते, हम तो नागराज वासुकी से दोस्ती का हाथ बढ़ाने आए हैं। और हमने जो आप पर प्रहार किया वह हम अपने आप को बचाने के लिए किया क्योंकि नागराज वासुकी और दल नायक चांडक ने हम दोनों भाइयों पर छल से हमला किया था।
अर्जुन और उलूपी का विवाह: Ulupi ne arjun ko bachaya??
तो क्या किसी को अपने बचाव का भी अधिकार नहीं है? उलूपी सारी बातों को सुनकर सोचने लग जाती है और कहती है “हां” यह बात तो सही है। लेकिन अब अर्जुन नाग लोक से मानव लोक पर वापस नहीं जा सकता था क्योंकि जाते वक्त उसे कोई देख लेता तो उसकी हत्या कर देता क्योंकि सारे नाग पांडव को अपना दुश्मन समझते थे। लेकिन उलूपी अर्जुन से बात करते वक्त समझ चुकी थी कि पांडव हमारा दुश्मन नहीं है वह हमारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहते हैं।
इसी क्रम में कहानी आगे बढ़ती है। फिर नायक चांडक नागराज वासुकी के पास अर्जुन को खोज लाने की प्रस्ताव रखते हैं क्योंकि उलूपी अर्जुन को नाग लोक में छुपा कर लाई थी जो कि उलूपी के अलावा किसी को मालूम नहीं था। क्योंकि उलूपी अर्जुन से प्यार करने लग गई थी। लेकिन उलूपी को प्यार करने वाला कोई और भी था उसका नाम था दल नायक चांडक।
आपने बिल्कुल सही सुना चांडक भी उलूपी से प्रेम करता था और समय के साथ साथ जब अर्जुन नहीं मिला तो चांडक को यह शक हो गया कि उलूपी कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है और यह बात सही भी थी। नाग लोक की राजमाता यानी नागराज वासुकी की पत्नी और उलूपी की मां ने चांडक से यह वादा किया था कि उलूपी का विवाह चांडक से ही होगा इसलिए चांडक हमेशा उलूपी के आगे पीछे घूमता रहता था और उलूपी को यह बहुत बुरी लगती थी।
तीन प्रेम कहानी।
इस कहानी के अंदर तीन प्रेम कहानी चल रही थी एक प्रेम कहानी जो उलूपी अर्जुन से कर रही थी, दूसरी जो चांडक उलूपी से कर रहा था, और तीसरी दामन जो चांडक से कर रही थी। पर इस प्रेम कहानी में उलूपी को ना तो चांडक से प्यार था और चांडक को दामन से। बाद में चांडक दामन की मदद से पता लगा ही लिया कि अर्जुन को नाग लोक में बचाने का काम उलूपी ही कर रही है और यह बात चांडक नागराज वासुकी के सामने रखता है।
नागराज को बड़ा आश्चर्य होता है लेकिन वह इस बात को मानने के लिए स्वीकार नहीं होते लेकिन अंत में यह बात सबके सामने चली ही आती है। लेकिन जब सब कुछ पता चलने के बाद नागराज वासुकी चांडक को अर्जुन से युद्ध करने की आज्ञा देते हैं। चांडक और अर्जुन के बीच छोटा सा युद्ध होता है जिसमें अर्जुन चांडक को हरा देता है पर उसे मारता नहीं क्योंकि उस वक्त चांडक निहत्था हो जाता है। और एक योद्धा की एक कसौटी है कि वह निहत्थे पर वार नहीं करते। यह सब बातें देखकर नागराज वासुकी अर्जुन से प्रसन्न होते हैं।
फिर वो अर्जुन की प्रस्ताव सुनते हैं। अर्जुन के प्रस्ताव सुनने के बाद नागराज वासुकी को लगता है कि वास्तव में अर्जुन ने दोस्ती का न्योता लेकर आया है। उसके बाद खांडव वन और इंद्रप्रस्थ की दुश्मनी हमेशा हमेशा के लिए दोस्ती में बदल जाती है। उसके बाद नागराज वासुकी अर्जुन को अपने सभा में बुलाते हैं और उनका सम्मान करते हैं। नागराज वासुकी को अर्जुन और उलूपी के प्रेम संबंध के बारे में पता चल जाता है और वह मन ही मन प्रसन्न होते हैं।
अर्जुन और उलूपी का विवाह: naag kanya ki prem katha
सम्मान समारोह होने के बाद अर्जुन इंद्रप्रस्थ के लिए प्रस्थान कर रहा होता है तभी नागराज वासुकी उन्हें कहते हैं कि आप अभी नहीं जा सकते क्योंकि 2 दिन बाद हमारे यहां अमावस्या की रात है और यह रात नागराजू के लिए बहुत महत्वपूर्ण रातें होती है।
क्योंकि अमावस्या की रात में हम नाग नारियों को अपने मन से वर चुनने का अधिकार देते हैं और उसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं होता। लेकिन इसके बावजूद भी अर्जुन इंद्रप्रस्थ जाने की आज्ञा मांगते हैं क्योंकि जिस समय राजमाता यानी नागराज वासुकी की पत्नी को यह सारी बातें पता चलती है तो अर्जुन से अकेले में जाकर मिलती है और कहती है कि तुम्हें दो चीजों में से कोई एक चुनना होगा या तो तुम्हारा लक्ष्य (पूरे भारत यात्रा करके मैत्री संबंध स्थापित कर दुश्मनों को कम करना) या फिर प्रेम।
अर्जुन राजमाता से लक्ष्य चुनने का वादा करता है और इसी वादा को निभाने के लिए सम्मान समारोह के बाद अर्जुन इंद्रप्रस्थ के लिए प्रस्थान कर रहे होते हैं तभी नागराज वासुकी फिर से अर्जुन से अमावस्या की रात तक रुकने का निवेदन करते हैं और अर्जुन इसे आज्ञा मानकर रुक जाता है।
अर्जुन और उलूपी का विवाह amaavasyaa ki raat
उसके बाद अमावस्या की रात आती है यह वह रात है जिस में नाग कन्याओं को उसके अपने मन से वर चुनने का अधिकार होता है इसमें उलूपी दामन और बहुत सारी कन्या में भाग लेती है। इस विवाह में जैसे ही उलूपी अर्जुन के गले में वरमाला डालने वाले होती है तभी चांडक खड़ा होता है और कहता है कि यह नहीं हो सकता क्योंकि नागकन्या का विवाह सिर्फ नागवंशीयों से हो सकता है। अगर ऐसा नहीं होगा तो यह नियमों के खिलाफ है।
उसी समय महर्षि आर्यक का आगमन होता है और महर्षि आर्यक चांडक को यह बताते हैं कि अगर नाग लोक में कोई ऐसी परंपरा है तो यह परंपरा पहले ही टूट चुकी है क्योंकि अर्जुन की मां एक नागकन्या है।
अर्जुन और उलूपी का विवाह : best love story
इस बात को सुनने के बाद उलूपी अर्जुन के गले में वरमाला डालती है और दामन चांद के गले में क्योंकि यह दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं। और इस तरह अर्जुन और उलूपी का विवाह होने के बाद अर्जुन कुछ दिन नाग लोक में ही ठहरता है और उलूपी कुछ दिन बाद अपने आप को गर्भावस्था में आती है। यह बात सुनकर अर्जुन बहुत खुश होता है और उसके बाद अर्जुन मणिपुर की तरफ प्रस्थान करता है जहां उसे मणिपुर के राजा से संबंध स्थापित करने हैं।
तो दोस्तों यह रही अर्जुन और उलूपी के विवाह का क्रमानुसार घटना जो अर्जुन और उलूपी के विवाह में बहुत बार अवसर बन के आया और बहुत बार बाधा।
अर्जुन और उलूपी का विवाह bhagya ki rachna
The story that fate was writing for Arjuna, Arjuna’s arrival in Naaglok and meeting Nagkanya Ulupi was the first chapter of that story. From here a series of interesting events begins, which is going to turn into a formidable challenge of Babruvahan. Arjun himself did not know that the use of Ulupi was not the end of his new journey but the first peacock. From here he is going to get a route which will take him to Chitrangada and Babruvahan, no one had any doubts about Arjuna’s journey to Nagaloka.
Today’s story is a love story and this is not such a love story. This love story is one of those love stories recorded in history whose name is “Marriage of Arjun and Ulupi”. Do not think of it as a marriage because this love story took the form of marriage later, first it was love.
अर्जुन और उलूपी का विवाह khandva jungle.
This story begins with Khandava forest which was later called Indraprastha. The Khandava forest was ruled by serpents, whose king’s name was Nagraj Vasuki. All the arrangements were going well but the timing had something else approved. At this time the Pandavas were in exile and the Pandavas requested Nagraj Vasuki to please allow me to stay in the Khandava forest too, but Nagraj attacked Arjuna and his brother with deceit because Nagraj Vasuki felt that these people were our land. They would snatch us away, would make us homeless but it was not so. The Pandavas wanted the well being of both sides.
But like I said, time had something else to accept. These sitting talks turned into war. There was a war between the two sides in which Arjuna defeated Nagraj and Nagraj had to leave the Khandava forest. As a result, every child of Nagraj’s kingdom became enemies of the Pandavas. He considered the Pandavas as his enemies, but there was nothing like this in the mind of the Pandavas. He talked about the existence of both the sides. Time eloped.
This is about the time when the war between Pandavas and Kauravas was about to start a few months later. Then Lord Krishna gave this message to Arjuna that ‘O Arjuna’, before any big war, reduce the number of enemies, for this you should travel all over India and wherever there is an enemy, try to make friendship with him and First of all start it with Nagraj Vasuki. Arjuna followed the path of Lord Krishna.
अर्जुन और उलूपी का विवाह se phehle milan kaise hua?
Here Ulupi was traveling from Nag Lok to Prithvi Lok i.e. Human Lok. Then Ulupi met Arjuna on the banks of the Ganges. Ulupi was fascinated by Arjun on seeing him. The two were introduced and back Ulupi went to her snake people. Ulupi kept thinking about Arjuna day and night but some other preparations were going on in Nag Lok.
Nag Lok’s Dal Nayak Chandak called an emergency meeting. All the people were present in the auditorium when Nagraj Vasuki asked “Dal Nayak Chandak why did you call this emergency meeting” then Chandak replied Maharaj, today I saw Arjun walking in my Nag Lok Khandav forest. Have seen. Everyone was shocked to hear this.
अर्जुन और उलूपी का विवाह ke dauraan arjun ki hatya?
Arjun! After that Nagraj Vasuki proposed in his meeting that who wants to kill Arjuna because those five Pandavas are our enemy. He burnt our Khandav forest, made all of us nag castes homeless. Out of that Dal Nayak Chandak comes forward and says that Maharaj give me the order “I will bring Arjuna’s head before you” but then in that Rajya Sabha princess Ulupi comes and says “No Maharaj, give me this command” I will in front of you. I will present Arjun dead or alive and Nagraj Vasuki gives this opportunity to his daughter Ulupi.
अर्जुन और उलूपी का विवाह hone se phehle Ulupi ne Arjun ko maara?
Ulupi leaves for Khandava forest to kill Arjuna, after that she kidnaps Arjuna and brings him to Nag Lok and tries to strike him with a dagger. But Ulupi is unable to do this because at first sight Ulupi was fascinated by Arjun on seeing him. A conversation ensues between the two. Ulupi tells Arjun that you are the enemy of us serpents. But Arjun explains to her that no Ulupi is not like that.
अर्जुन और उलूपी का विवाह : Chandak bhi karta tha Ulupi se pyaar?
We are not your enemies. We do not want vengeance from you, we have come to extend the hand of friendship with Nagraj Vasuki. And we did what we attacked you to protect ourselves because both of us brothers were attacked by Nagraj Vasuki and Dal Nayak Chandak with deceit.
So no one has the right to defend himself? Ulupi starts thinking after hearing all the things and says “yes” this is true. But now Arjuna could not go back from the serpent world to the human world because if someone had seen him while leaving, he would have killed him because all the serpents considered the Pandavas as their enemies. But Ulupi had understood while talking to Arjuna that Pandavas are not our enemy, they want to extend a hand of friendship towards us.
अर्जुन और उलूपी का विवाह : Ulupi ne Arjun ko chupaaya?
The story progresses in this sequence. Then Nayaka Chandak proposes to bring Arjuna to Nagraj Vasuki as Ulupi had brought Arjuna hiding in the Nag Lok which was not known to anyone except Ulupi. Because Ulupi fell in love with Arjuna. But there was someone else who loved Ulupi, his name was Dal Nayak Chandak.
अर्जुन और उलूपी का विवाह:love triangle?
You heard it absolutely right that Chandak also loved Ulupi and over time when Arjun was not found, Chandak suspected that Ulupi was trying to hide something and this was true too. The queen of Nag Lok i.e. the wife of Nagraj Vasuki and Ulupi’s mother had promised Chandak that Ulupi would be married to Chandak, so Chandak always used to roam in front of Ulupi and Ulupi felt it very bad.
There were three love stories going on inside this story.